Friday, 22 April 2016

गयाप्रसाद जी वचन 18 , सन्त सद्गुरु

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पूज्य बाबा
पंडित श्री गया प्रासद जी के
📘सार वचन उपदेश
2⃣6⃣
<>सन्त सद्गुरु<>
<> १सबरे संत महापुरुष ही भगवत् तुल्य माननीय तथा आदरणीय हैं।

जानेसु संत अनंत समाना

<> २चाहे जा देश के हौंय चाहे जा जाति या वेष के हौंय सन्त सबही परम माननीय हैं।

<> सबमें उच्च भाव राखै,सबकौ सम्मान करै,सबकी सेवा करै,सबकी वाणीन कौ अध्ययन करै,सबके उपदेश सुनै,सबकौ महाप्रसाद हू लै

<> सकै सबकौ महाप्रसाद हू लै सकै (जहाँ श्रद्धा एवं इच्छा हो) किन्तु साधन अपने श्रीगुरुदेव की आज्ञानुसार ही करै।

<> ३अपने श्रीगुरुदेव भगवान् में पूर्ण श्रद्धा, पूर्ण भगवान्भाव होय किन्तु अन्य सन्तन में अवज्ञा बुद्धि न होय।

<> ४महद् अपराध सों बहुत ही बचै।

<> ५एकमात्र सन्त ही शान्ति,समता,सरलता,सन्तोष,सौहार्द एवं स्नेह के धाम होंय।

💎प्रस्तुति 📖श्री दुबे

📙संपादन सानिध्य
दासाभास डा गिरिराज नांगिया
श्रीहरिनाम प्रेस वृन्दाबन

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