Thursday, 21 April 2016

गयाप्रसाद जी वचन 3 , मन

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पूज्य बाबा
पंडित श्री गया प्रसाद जी के
📘सार वचन उपदेश
मन1⃣5⃣
<> ६.मन सों दूषित संकल्प उखार फैंकें। इनके स्थान में
पवित्रतम् संकल्प भरते रहैं।
<> ७.वरोध के स्थान में मैत्री भावना भरते रहैं।
<> ८.कठोरता के स्थान नम्रता एवं दया बढ़ाते रहैं।
<> ९.काहू के दोष देखवे में ही गुण
ही देखें।
<> १०.सबको सम्मान ही दैवे की
भावना भरते रहैं।
<> ११.मन में व्यर्थ चिन्तन न हौन पावै।जब-जब व्यर्थ
चिन्तन या विषय चिन्तन होयवे लगै तो मन कूँ समझाय कें
श्री भगवत् सम्बन्धी चिन्तन में लगाते
रहैं।
<>१२.लक्ष्य
<> कर्तव्य
<> सत्संग वाक्य तथा श्री भगवत् कृपा विशेषतया
ये ही चिन्तनिय हैं।
<> चिन्तन में-अपने साधन कौ चिन्तन अपनी
रहनी कौ चिन्तन अपने स्वाभाव कौ चिन्तन कि इनमें
कितनौ सुधार एवं उन्नति है रही है।
💎प्रस्तुति 📖श्री दुबे
📙संपादन सानिध्य
दासाभास डा गिरिराज नांगिया
श्रीहरिनाम प्रेस वृन्दाबन

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