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पूज्य बाबा
पंडित श्री गया प्रसाद जी के
📘सार वचन उपदेश
3⃣7⃣
<> भजन क लिए स्वस्थ शरीर की आवश्यकता <>
<> १. यदि दीघर्काल पयर्न्त ठीक-ठीक भजन करवे की इच्छा होय तौ शरीर कूँ ,सभरते भये ही भजन करवे कौ विचार राखै । शरीर की सर्वथा उपेक्षा न कर बैठै ।
<> २. हाँ एक सावधानी राखै कि संभार के नाम पर भोग न बढ़ाय बैठै नहीं तौ देहाध्यास बढ़ जाय है ।
<> भजन में पूरे-पूरे सहायक है सादगी,सयंम,सदाचार तथा तप ,त्याग ,वैराग्य की भावना ।देहाध्यास इन सबन में सादगी संयमादिक में प्रबल बाधक है ।साधक देहाध्यास न बढावै ।
<> ३. स्वस्थ शरीर सों ही साधन सुचारू रूप सों बन पावै है । या कारण साधक कूँ शारीरिक स्वास्थ्य पै विशेष ध्यान देनौ चाहियै ।
<> अपने प्रमादवश शरीर रोगी हैवै पे साधक छुटै है या कराण साधक अपराधी मान्यौ जाय है ।
<> ४.शरीर की सभार हू भगवत् भजन के लिये ही करै । इन्द्रिय सुखभोग की इच्छा सौ नहीं ।
💎प्रस्तुति 📖श्री दुबे
📙संपादन सानिध्य
दासाभास डा गिरिराज नांगिया
श्रीहरिनाम प्रेस वृन्दाबन
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