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पूज्य बाबा
पंडित श्री गया प्रसाद जी के
📘सार वचन उपदेश
2⃣9⃣
<> ८.जिहवा पै श्री भगवान् कौ पवित्र नाम होय । मन में प्रियतम की मधुर समृति होय , नेत्रंन सो आश्रुपात होय
<> शरीर में कम्प एवं रोमांच होय हृदय में प्रियतम के मिलन की उतकट उत्कण्ठा होय ।
<> यही साधक कौ परम सौभाग्य है,याही में जीवन की सफलता है ।
<> ९.श्रीभगवन्नाम जप की अनेक विधि है तथापि हमें जो सबसे लाभदायक या समय के साधकन के लिये जान परै है
<> -वह यह है कि एकांत स्थान में शान्त भाव सो काहू आसन सो सुखपूर्वक बैठके -
<> (१)सर्वप्रथम यह संकलप करै कि इतने समय तक मोकूँ श्रीभगवन्नाम जप करनौ है।उतने समय के लिये मेरौ संसार सो कोई सम्बन्ध नहीं है ।
<> समस्त चितान के त्यागपूवर्क या समय मे केवल भजन ही करनौ है ।
<> (२) जीभ सो लय पूर्वक -इतने मन्द स्वर में कि अपने कान सुनै -श्रीभगवन्नाम कौ सपष्ट उच्चारण होय ।
<> (३) श्रीभगवन्नामोच्चारण में शीघ्रता न करे ।
<> (४)एक-एक नाम बड़े आदर,आंनद एवम् प्रेम के साथ उच्चारण करे ।
<> (५) यही भाव राखै कि स्वयं कृपा करके श्री भगवान् ही मेरी जिहवा पर नाम के रूप में विराजमान है ।
<> श्रीजीवनधन तथा श्रीजीवनधन कौ नाम सर्वथा अभिन्न ही है ।
💎प्रस्तुति 📖श्री दुबे
📙संपादन सानिध्य
दासाभास डा गिरिराज नांगिया
श्रीहरिनाम प्रेस वृन्दाबन
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