Friday, 22 April 2016

गयाप्रसाद जी वचन 21

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पूज्य बाबा
पंडित श्री गया प्रसाद जी के
📘सार वचन उपदेश
2⃣9⃣
<> ८.जिहवा पै श्री भगवान् कौ पवित्र नाम होय । मन में प्रियतम की मधुर समृति होय , नेत्रंन सो आश्रुपात होय

<> शरीर में कम्प एवं रोमांच होय हृदय में प्रियतम के मिलन की उतकट उत्कण्ठा होय ।

<> यही साधक कौ परम सौभाग्य है,याही में जीवन की सफलता है ।

<> ९.श्रीभगवन्नाम जप की अनेक विधि है तथापि हमें जो सबसे लाभदायक या समय के साधकन के लिये जान परै है

<> -वह यह है कि एकांत स्थान में शान्त भाव सो काहू आसन सो सुखपूर्वक बैठके -

<> (१)सर्वप्रथम यह संकलप करै कि इतने समय तक मोकूँ श्रीभगवन्नाम जप करनौ है।उतने समय के लिये मेरौ संसार सो कोई सम्बन्ध नहीं है ।

<> समस्त चितान के त्यागपूवर्क या समय मे केवल भजन ही करनौ है ।

<> (२) जीभ सो लय पूर्वक -इतने मन्द स्वर में कि अपने कान सुनै -श्रीभगवन्नाम कौ सपष्ट उच्चारण होय ।

<> (३) श्रीभगवन्नामोच्चारण में शीघ्रता न करे ।

<> (४)एक-एक नाम बड़े आदर,आंनद एवम् प्रेम के साथ उच्चारण करे ।

<> (५) यही भाव राखै कि स्वयं कृपा करके श्री भगवान् ही मेरी जिहवा पर नाम के रूप में विराजमान है ।

<> श्रीजीवनधन तथा श्रीजीवनधन कौ नाम सर्वथा अभिन्न ही है ।

💎प्रस्तुति 📖श्री दुबे

📙संपादन सानिध्य
दासाभास डा गिरिराज नांगिया
श्रीहरिनाम प्रेस वृन्दाबन

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