संत वाणी :~ व्यक्तिगत जीवन की ओर , जब मानव , प्राप्त विवेक के प्रकाश में , बुद्धि दृष्टि से देखता है तब , उसे अपने में असमर्थता का बोध होता है । असमर्थता का ज्ञान , सामर्थ्य की आवश्यकता है । ( मानव सेवा संघ वृंदावन )
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