Thursday, 21 April 2016

गयाप्रसाद जी वचन 9 , हाथ

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पूज्य बाबा
पंडित श्री गया प्रसाद जी के
📘सार वचन उपदेश
🍁 9⃣ 🌼 हाथ 🌼 🍁
<> ३.खोटे काम करवे कौ अवसर आवै तब यही
भावना बनावै कि मेरे हाथ टूट गये हैं।
<> हाँ दीनन की सहायता तथा भगवत् सेवा के
समय अपने कूँ सहस्रबाहु कौ अनुभव करै
<>हाथन की सफलता तथा सौभाग्य -
<>१.पुण्य एवं दान करवे में
<>२.दीनन की सहायता करवे में
<>३.गुरुजनन की तथा श्रीभगवत् सेवा करवे में ही है।
<> याही में श्रीप्राणनाथ की कृपा कौ अनुभव
करौ।
<> ४.सदैव यही ध्यान राखै की कोई इन्द्रिय पाप
कर्म में न लगै।
<> प्रत्येक इन्द्रिय सों शास्त्र सम्मत सदाचार कौ
ही पालन बनै।
"भूलि न देहिं कुमारग पाऊँ।"
<> वर्णाश्रम व्यवस्था के अनुसार के जो नियम हैं
उनकौ प्रत्येक इन्द्रिय
<> -चेष्टा सों पालन करनौ ही साधन पथ कौ प्रथम
सोपान है-
<>"तस्मात् त्वमिन्द्रियाण्यादौ नियम्य
भरतर्षभ।"
💎प्रस्तुति 📖श्री दुबे
📙संपादन सानिध्य
दासाभास डा गिरिराज नांगिया

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