Friday, 22 April 2016

गयाप्रसाद जी वचन 19

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पूज्य बाबा
पंडित श्री गया प्रासद जी के
📘सार वचन उपदेश
2⃣7⃣
<> ६.ईश्वरीय सृष्टि की अनुपम देन है-संत,वे ईश्वर के समान समस्त जगत् के हितैषी एवं पावनकारी प्रभावयुक्त हैं।

<> ७.श्री भगवत् साक्षात्कार होय-महापुरुष की प्राप्ति सों,बिना महापुरुष की कृपा के यह पथ हाथ नहीं आवै है।

<> ८.जो परमात्मा सों मिलवे के साधन मार्ग कौ अंगुली निर्देश करै हैं वे हैं सन्त किन्तु जो अनुगत शिष्य कूँ शिशुवत्

<> अंगुली पकर कें अपने साथ-साथ लै जायकें परमात्मा सों मिलाय दें वे हैं सद्गुरु।

<> ९.जो शिष्य कूँ संसार सों सर्वथा छुड़ाय कें शिष्य के हाथ कूँ श्रीप्रभु के हाथ में सोंप देय वही है सद्गुरु।

<> १०.श्रदास्पद हैं श्रीसद्गुरु और प्रेमास्पद हैं श्री भगवान्

<> ११.श्रीसद्गुरु भगवान् की प्राप्ति अत्यन्त दुर्लभ है। जाकूँ प्रियतम अपनानौ चाहैं हैं वाही कूँ ये प्राप्त होय हैं।

सन्त विसुद मिलहिं परि तेहि
चितवहिं राम कृपा करि जेहि।

<> वस्तुतः शिष्य कौ कल्याण करवे के ताईं स्वयं भगवान् ही सद्गुरु रूप में आवें हैं।

💎प्रस्तुति 📖श्री दुबे

📙संपादन सानिध्य
दासाभास डा गिरिराज नांगिया
श्रीहरिनाम प्रेस वृन्दाबन

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