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🙏🏻पूज्य बाबा
पंडित श्री गया प्रसाद जी के
📘सार वचन उपदेश
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<> (६)यही अनुभव करै कि अब या समय श्रीजीवनधन की सन्निधि में गोलोक मे हूँ ।
<> (७)मन कू इनके सान्निध्य ,सेवा के सुख मे लगवै ।
<> अथवा
<> इनकी कृपा के चिन्तन में लगावै ।
<> अथवा
<> इनके नाम
<> (८)मन कबहूँ खटपट करवे लगै तौ अत्यन्त आत्तर है के इन सो प्राथर्ना कर बैठे कि जीवनधन ! कृपा करके मेरे या बहिमुर्ख मन कूँ अपनी ओर खीच ले ।
<> (९)कबहूँ आभारी बन के ह्रदय कू द्रवित करै -श्रीजीवनधन क़ी कितनी कृपा है जो मोसों अपनौ नाम स्मरण कराय रहे है ।
<> मैं धन्य कर दियौ मेरौ यह जन्म ,जीवन ,यह समय धन्य-धन्य है आदि- आदि ।
<> (१०)निरन्तर श्रीभगवन्नाम जप कौ प्रयत्न एवम् कोई इन्द्रिय कुमार्ग में न जाय ।इतने सो ही बेडा पार है जायगौ । हाँ ,होनी चाहिए
<> इन दोऊ कामन में सत्यता । काहूँ कूँ दिखायवे के लिये या संसार कूँ रिझायवे के लिये नहीं , इनके लिये ही हो ।
<> (११)एक बार हु जिहवा पै आयौ भयौ श्रीभगवत नाम महद् कृपा अथाव भगवत् कृपा कौ ही फल है ।
<> (१२)श्रीसदगुरु द्वारा प्राप्त भगवन्नाम अपने कान कूँ सुनानौ ही नित्य सत्संग है ।
💎प्रस्तुति 📖श्री दुबे
📙संपादन सानिध्य
दासाभास डा गिरिराज नांगिया
श्रीहरिनाम प्रेस वृन्दाबन
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