Thursday, 21 April 2016

गयाप्रसाद जी 5 , आहार

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पूज्य बाबा
पंडित श्री गया प्रसाद जी के
📘सार वचन उपदेश
1⃣2⃣ आहार -->
<> बहुत भारी,उत्तेजक,अभक्ष्य तथा मादक वस्तु
कबहूँ ग्रहण नहीं करनौ। पेट प्रतिदिन स्वच्छ होतौ
रहै ऐसौ संभार कैं आहार करनौ ।
<> पेट में मल कौ रुकनौ एवं मन में विकारन कौ
रुकनौ,स्वास्थ एवं परमार्थ दोऊन में हानिकारक है।
अतः इन दोऊन की स्वच्छता पै ध्यान रहै।
<> भूख लगवे पै ही भोजन करै। भोजन के समय पै
भूख न लगवे तौ उपवास करै अथवा स्वल्पाहार करै।
स्वल्पाहार उपवास कै समान ही है।
<> साधक अत्याहार तौ कबहूँ करै ही नहीं,भूख
सौं थोरौ कम ही खाय हाँ बहुत कम हू न खाय-
<> "युक्ताहार विहारस्य युक्त चेष्टस्य
कर्मसु||"
<> सदैव पथ्याहार ही करै। आहार कूँ औषधि रूप
बनावै।
💎प्रस्तुति 📖श्री दुबे
📙संपादन सानिध्य
दासाभास डा गिरिराज नांगिया
श्रीहरिनाम प्रेस वृन्दाबन

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