Friday, 22 April 2016

गयाप्रसाद जी वचन 22

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🙏🏻पूज्य बाबा
पंडित श्री गया प्रसाद जी के
📘सार वचन उपदेश
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<> (६)यही अनुभव करै कि अब या समय श्रीजीवनधन  की सन्निधि में गोलोक मे हूँ ।

<> (७)मन कू इनके सान्निध्य ,सेवा के सुख मे लगवै ।

<> अथवा

<> इनकी कृपा के चिन्तन में लगावै ।

<> अथवा

<> इनके नाम

<> (८)मन कबहूँ खटपट करवे लगै तौ अत्यन्त आत्तर है के इन सो प्राथर्ना कर बैठे कि जीवनधन ! कृपा करके मेरे या बहिमुर्ख मन कूँ अपनी ओर खीच ले ।

<> (९)कबहूँ आभारी बन के ह्रदय कू द्रवित करै -श्रीजीवनधन क़ी कितनी कृपा है जो मोसों अपनौ  नाम स्मरण कराय रहे है ।

<> मैं धन्य कर दियौ मेरौ यह जन्म ,जीवन ,यह समय धन्य-धन्य है आदि- आदि ।

<> (१०)निरन्तर श्रीभगवन्नाम जप कौ प्रयत्न एवम् कोई इन्द्रिय कुमार्ग में न जाय ।इतने सो ही बेडा पार है जायगौ । हाँ ,होनी चाहिए

<> इन  दोऊ कामन में सत्यता । काहूँ  कूँ दिखायवे के लिये या संसार कूँ रिझायवे के लिये नहीं , इनके लिये ही हो ।

<> (११)एक बार हु जिहवा पै आयौ भयौ श्रीभगवत नाम महद् कृपा अथाव भगवत् कृपा कौ ही फल है ।

<> (१२)श्रीसदगुरु द्वारा  प्राप्त  भगवन्नाम अपने कान कूँ सुनानौ ही नित्य सत्संग है ।

💎प्रस्तुति 📖श्री दुबे

📙संपादन सानिध्य
दासाभास डा गिरिराज नांगिया
श्रीहरिनाम प्रेस वृन्दाबन

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