Friday, 22 April 2016

गयाप्रसाद जी वचन 20 , भगवन्नाम

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पूज्य बाबा
पंडित श्री गया प्रसाद जी के
📘सार वचन उपदेश
2⃣8⃣
<> श्री भगवन्नाम <>
<> १.श्री भगवन्नाम जप में पूर्ण रूचि होंनी चाहिये ।

<> २.श्रीनाम जप कौ इतनो अभ्यास बढ़ावे कि बिना प्रयत्न किये जिहवा सतत श्रीभगवत नाम रटती ही रहे ।

<> यहाँ तक कि शयन के समय हु नाम जप होयेवे लगे।

<> ३.श्रीविनय पत्रिका कौ यह पद बड़े ही मर्म कौ है-

<> "राम राम राम जीह
जौ लो तू न जपि है
तौ लो तू कह जाय,
तिहूँ ताप टपि है।"

<> ४.जिहवा की सफलता श्री नामोउच्चारण में,
श्रवणन की सफलता नाम श्रवण मे तथा
मन के ताई परम आनन्द केवल श्रीनाम के रसामात्र पीवे में ही है।

<> ५.जो जीभ श्री भगवन्नाम जपै वह कठोर वाक्य न बोलै,अश्लील बात न कहै,
असत्य भाषण न करे।

<> ६.श्री भगवन्नाम जपिवे वारी जीभ काहू की निन्दा न करै व्यर्थ भाषण न करै परचर्चा न करै स्वाद और विवाद में रस लैवे

<> वही जिवहा भगवन्नाम में रस नहीं प्राप्त कर सकै है । जिहवा के स्वाद में जाकू रूचि होगी वाके अन्त:करण में भजन कौ रहस्य प्रकट नहीं है सकै ।

<> ७.दो बातन कौ अभ्यास बढावै-

<> १.निरन्तर श्रीभगवन्नाम जप

<> २.निरन्तर आपने आचरण कौ सुधार ।

💎प्रस्तुति 📖श्री दुबे

📙संपादन सानिध्य
दासाभास डा गिरिराज नांगिया
श्रीहरिनाम प्रेस वृन्दाबन

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