Thursday, 21 April 2016

गयाप्रसाद जी वचन श्रद्धा , सदाचार 11

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पंडित श्री गयाप्रसाद जी के
सार वचन उपदेश
5⃣ श्रद्धा
🐚सदाचार🐚
सदाचार या वाक्य में दो शब्द हैं
<>१ । सत्
<>२ । आचार
<> व्याकरण सों त् के स्थान में द् बन गयौ है- कहूँ-
कहूँ त् कौ न बन जाय है । यथा सन्मार्ग
<> सत् कौ अर्थ है अति उत्तम
जो अति श्रेष्ठ पुरुष है-सन्त है इनके आचरण ही
सदाचार कहे जायँ हैं।
<> सन्तन की जीवनी पढौ अथवा जो वर्तमान में
सन्त हैं-बड़े गौर सौ इनके आचरण देखौ-इनकी रहनी
देखौ ये कितने सरल हैं।
<> कितने विशाल ह्रदय है।
<> कितने उदार है।
<> कितने क्षमाशील है।
<> दुःख सुख सहने में कितने समर्थ हैं।
<> भूल सों हू क्रोध नहीं करें।
💎प्रस्तुति 📖 श्री दुबे
📙संपादन सानिध्य
दासाभास डा गिरिराज नांगिया

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