Sunday, 27 March 2016

मन को देखा जा सकता है -- महर्षि रमण

प्रश्न : स्वामीजी ! क्या मन को देखा जा सकता है ?
स्वामीजी : हाँ ,बिलकुल मन को देखा जा सकता है और यही मनुष्य जन्म की सार्थकता है ,
                मनुष्य जन्म का लक्ष्य है कि हम मन को देखकर इससे मुक्त हों ,
                मन को देखकर,उससे अलग होकर , हम अपने आत्म स्वरूप में स्थित हों .
               मन विचारों का प्रवाह है .विचारों का नाम ही मन है .
               आपके मन में क्या विचार चल रहें है आपको पता रहता है .
               बस यह सूत्र है ,
               आप अपने विचारों को प्रति हर समय जागरूक रहें ,
               धीरे धीरे आप अपने मन को ,विचारों को ऐसे ही देख पाएंगे ,
               अर्थात जान पाएंगे ,जैसे आप दूसरों के विचारों को सुनते है ,
               तब आप जान पाएंगे कि आप मन नहीं है ,
               आप मन के दृष्टा ,साक्षी आत्मा हैं ,चैतन्य हैं .
              जो शाश्वत है ,परम सत्य है .इस आत्मा का ही एक मात्र अस्तित्व है .
              जगत तो आपका एक विचार मात्र है .तत्वमसि .
-----------------रमण महर्षि

1 comment:

  1. बहुत ही सुन्दर प्रश्नोत्तर

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