सन्तवाणी श्रद्धेय स्वामीजी श्रीशरणानंदजी महाराज
हम न बिगड़ते तो दुनिया न बिगड़ती यानी दुनियामें बुराई न दीखती । हमारी ही बुराई दुनियामें दिखाई देती है, ऐसा मैं मानता हूँ ।
सबसे बड़ी सेवा, अपनी और दूसरोंकी, इसीमें है कि हम किसीको बुरा न समझें ।
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