शिष्य : मैं शांति कैसे प्राप्त कर सकता हूँ ? आत्म-विचार द्वारा इसकी प्राप्ति मेरी पहुँच के बाहर
लगता है .
महर्षि रमण: शांति आपकी सहज अवस्था है .यह मन ही जो सहज अवस्था का अवरोधक है .
आपका आत्मविचार केवल मन में चलता है .खोज करें [देखें] कि मन क्या क्या
है ,तब यह विलुप्त हो जायेगा .विचार के अतिरिक्त मन जैसी कोई चीज ही नहीं
है .फिर भी विचार के उदित होने पर आप निष्कर्ष निकलते हैं कि जिससे यह
उत्पन्न हुआ ,वह मन है .
जब आप देखने का प्रयत्न करते हैं कि यह मन क्या है तो आपको मालूम पड़ता
है कि वास्तव में मन जैसी कोई चीज है ही नहीं .मन जब इस प्रकार विलुप्त हो
जाता है तो आप शाश्वत शांति अनुभव करते हैं .[शांति और आनंद -महर्षि वचनामृत ]
Wednesday, 30 March 2016
मैं शांति कैसे प्राप्त कर सकता हूँ ? महर्षि रमण
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