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पूज्य बाबा
पंडित श्री गया प्रसाद जी के
📘सार वचन उपदेश
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☘☘ 3⃣3⃣ ☘☘
🍓(१२)भजन ही करै
🤔भजन ही विचारै
🍒भजन बनै याही को प्रयत्न करै।
🙌🏻भजन करकें भजन ही माँगे।
🍒भजन सों कबहूँ तृप्ति न होन पावै।
🍓भजन में निरन्तर उत्साह बढतौ रहै।
🍒(१३)जो सतत् भवत् भजन चिन्तन करै है वाकूँ अन्त समय में भगवत् स्मृति बनी रहै है।
☘(१४)भजन करै किन्तु कोई स्वार्थ न रहै यदि स्वार्थ है तौ वह भिखारी या व्यापारी ही है। भजन करै किन्तु अपने कूँ भजनानन्दी न जँचावै।
🍓(१५)साधु कौ उद्धार तौ वाही क्षण सों प्रारम्भ है गयौ जा क्षण सों वह पूर्ण तत्परता सों भजन करवे में जुटि परौ।
🍒(१६)को मृत्यु के समय करनौ परै वाकूँ याही क्षण सों करि चलौ।
🔆🔆बलि अन्त समय जहँ जावनो है।
तहँ जीवते क्यों नहिं जाइये जू।।🔆🔆
☘☘पुलक गात हियँ सिय रघुवीरु।
जीह नामु जप लोचन नीरू।।☘☘
🍒(१८)भजन केवल भजन के लिये ही
▶भजन कौ फल भजन में रूचि
➡भजन करते करते भजन में रूचि होयगी ही
भजन कौ अन्तिम फल है श्री भगवत् प्रेम।
🍓(१९)जीवन की सफलता नाम ही लग्न में ही है।
🍒(२०)भजन करते करते जिये भजन करते करते मरे।
💎प्रस्तुति 📖श्री दुबे
📙संपादन सानिध्य
दासाभास डा गिरिराज नांगिया
श्रीहरिनाम प्रेस वृन्दाबन
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