Monday, 21 March 2016

भजन पर गयाप्रसाद जी के विचार

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पूज्य बाबा
पंडित श्री गया प्रसाद जी के
📘सार वचन उपदेश

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☘☘ 3⃣3⃣ ☘☘

🍓(१२)भजन ही करै

🤔भजन ही विचारै

🍒भजन बनै याही को प्रयत्न करै।

🙌🏻भजन करकें भजन ही माँगे।

🍒भजन सों कबहूँ तृप्ति न होन पावै।

🍓भजन में निरन्तर उत्साह बढतौ रहै।

🍒(१३)जो सतत् भवत् भजन चिन्तन करै है वाकूँ अन्त समय में भगवत् स्मृति बनी रहै है।

☘(१४)भजन करै किन्तु कोई स्वार्थ न रहै यदि स्वार्थ है तौ वह भिखारी या व्यापारी ही है। भजन करै किन्तु अपने कूँ भजनानन्दी न जँचावै।

🍓(१५)साधु कौ उद्धार तौ वाही क्षण सों प्रारम्भ है गयौ जा क्षण सों वह पूर्ण तत्परता सों भजन करवे में जुटि परौ।

🍒(१६)को मृत्यु के समय करनौ परै वाकूँ याही क्षण सों करि चलौ।

🔆🔆बलि अन्त समय जहँ जावनो है।
तहँ जीवते क्यों नहिं जाइये जू।।🔆🔆

☘☘पुलक गात हियँ सिय रघुवीरु।
जीह नामु जप लोचन नीरू।।☘☘

🍒(१८)भजन केवल भजन के लिये ही

▶भजन कौ फल भजन में रूचि

➡भजन करते करते भजन में रूचि होयगी ही
भजन कौ अन्तिम फल है श्री भगवत् प्रेम।

🍓(१९)जीवन की सफलता नाम ही लग्न में ही है।

🍒(२०)भजन करते करते जिये भजन करते करते मरे।

💎प्रस्तुति 📖श्री दुबे

📙संपादन सानिध्य
दासाभास डा गिरिराज नांगिया
श्रीहरिनाम प्रेस वृन्दाबन

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