जिन्हें सत्य कड़वा लगा , उनसे सावधान रहियेगा ।
सत्य रसमय है , आनन्दमय और आनन्द का स्रोत बिन्दु है ।
सत्य ही नित्य चेतन है । जो वस्तु कड़वी लगे उसका स्वभाव ज्ञात नहीँ । चाय पीने वालों को सहज दूध नहीँ भाता , यहाँ दूध का स्वाद खराब नहीँ , चाय आदि पेय पीने जिह्वा का स्वाद बिगड़ गया है ।
सत्य कड़वा होता है , अगर अब भी आप उसके विपरीत ही खड़े हो ।
सत्य से रसमय कुछ न हो , अगर उसी का वरण कर लिया गया हो । जिन्हें बिन सत्य छटपटाहट हो , उनसे पूछिये क्या सत्य कभी कड़वा था , सत्य ईश्वर का एक स्वरूप और एक गुण और एक भाव रूप ही है , उसका जितना अन्तस् से सहज स्वीकार्य हो उतना ही रस भीतर में प्रगट रहेगा ।
असत् के संग से सत् में कोई दोष दृष्टि होती है और यह अति क्षीण बुद्धि है , पशु भी सत्य को कड़वा नहीँ जानते । - सत्यजीत तृषित
Monday, 28 March 2016
सत्य कड़वा नहीँ
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment