लोहिड़ी / मकर संक्रांति / पोंगल ..... पर विशेष लेख .......
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(1) हमारा जीवन उत्तरायण बने, हम धर्मपरायण बनें और हमारे आदर्श भगवान श्रीराम बनें|
मकर संक्रांति/पोंगल/लोहड़ी पर सभी को शुभ कामनाएँ| जय श्री राम !
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(2) अपनी व्यक्तिगत साधना/उपासना में आज से एक नए संकल्प और नई ऊर्जा के साथ गहनता लायें |
उपासना एक मानसिक क्रिया है| इस क्रिया में और अधिक गहनता लाएं|
> रात्रि को सोने से पूर्व भगवान का ध्यान कर के निश्चिन्त होकर जगन्माता की गोद में सो जाएँ|
> दिन का आरम्भ परमात्मा के प्रेम रूप पर ध्यान से करें|
>पूरे दिन परमात्मा की स्मृति रखें| यदि भूल जाएँ तो याद आते ही पुनश्चः स्मरण करते रहें|
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(३) आज का एक विशेष विचार >>>
ज्ञान संकलिनी तन्त्र के अनुसार इड़ा भगवती गंगा है, पिंगला यमुना नदी है और उनके मध्य में सुषुम्ना सरस्वती है| इस त्रिवेणी का संगम तीर्थराज है जहां स्नान करने से सर्व पापों से मुक्ति मिलती है|
> वह तीर्थराज त्रिवेणी प्रयाग का संगम कहाँ है ?
> >> वह स्थान ... तीर्थराज त्रिवेणी का संगम आपके भ्रूमध्य में है|
अपनी चेतना को भ्रूमध्य में और उससे ऊपर रखना ही त्रिवेणी संगम में स्नान करना है|
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ॐ तत्सत् | ॐ तत् त्वं असि | ॐ सोsहं || शिवोहं शिवोहं अयमात्मा ब्रह्म || ॐ ॐ ॐ ||
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय || ॐ नमः पार्वतीपतये हर हर महादेव || ॐ ॐ ॐ ||
कृपाशंकर
झुंझुनूं (राजस्थान)
पौष शु. ५ वि.सं.२०७२| 14जनवरी2016
..... जय भारत, जय वैदिक संस्कृति ....
Wednesday, 13 January 2016
कृपाशंकर जी चिंतन 1
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