Monday, 30 November 2015

तदा सर्वावरणमलापेतस्य ज्ञानस्यानन्त्याज्ज्ञेयमल्पम्

तदा सर्वावरणमलापेतस्य ज्ञानस्यानन्त्याज्ज्ञेयमल्पम्||
उपर्युकथित जीवनमुक्ति की अवस्था प्राप्त होने पर साधक ब्रह्माण्ड के सम्पूर्ण ज्ञान से युक्त हो जाता है|
कोई भी जानने योग्य वस्तु साधक के लिए अपरिचित नहीं रहती|
साधक का ज्ञान अपरिमित,असीमित,अनन्त हो जाता है|
यह सब उसके किये भजन का,एवं गुरु कृपा का प्रताप है|अतः धैर्यपूर्वक,समर्पित भाव से भजन करते रहिये|
जय श्री कृष्ण||

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