मनुष्य के दुःख का कारण देहाभिमान है , शरीर घर है , इसमे रहने वाली जीभ देहली है , उसे न तो अन्दर कहा जाता है और न बाहर । इस देहाभिमान को मारने के लिए जीभ पर श्री ठाकुरजी का नाम रखना चाहिए . . श्री मन्नारायण श्री मन्नारायण नारायण .......
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