Thursday, 26 November 2015

रहस्य भाव 52 मोस्ट

अहिंसा , सत्य भाषण , अचौर्य , अनासक्ति , मौन , स्थिरता , क्षमाभाव , निर्भीकता , निन्द्य कार्यो मेँ लज्जा भाव , असंग्रह धर्मनिष्ठा और ब्रह्मचर्य ये यम है । शौच . जप , तप .होम ,श्रद्धा ,आतिथ्य ,भगवान का पूजन तीर्थ यात्रा .परोपकार सन्तोष और गुरुसेवा ये नियम हैँ । भगवान मेँ बुद्धि की निष्ठा शम , इन्द्रियोँ का वशीकरण दम , दुःख सहना तितिक्षा , जिह्वा और उपस्थ का जीतना धैर्य , जीवो के प्रति द्रोह का त्याग श्रेष्ठ दान . भोगो की उपेक्षा तप , स्वभाव को जीतना शौर्य , ब्रह्म दर्शन सत्य और प्रिय वाणी , ऋतु कर्मो मे अनासक्ति शौच . तथा त्याग ही सन्यास है ।
धर्म ही इच्छित धन है परमेश्वर का भजन ही यज्ञ है । ज्ञानोपदेश दक्षिणा . प्राणायाम महान बल . ईश्वरत की भक्ति श्रेष्ठ लाभ , शुभ गुणोँ की प्राप्ति शोभा , सुख दुःख का ध्यान न रहना सुख , विषयेच्छा दुःख , बन्धन एवं मोक्ष का ज्ञाता पंडित , देहाभिमानी मूर्ख , ईश्वर को प्राप्त कराने वाला निवृत्तिमार्ग पंथ कहा जाता है । चित्त मेँ क्षोभ उत्पन्न कराने वाला मार्ग कुपंथ , सत्वगुण की उत्पत्ति स्वर्ग , तमोगुण की वृद्धि नरक , सद्गुरु बन्धु , शरीर घर , गुणवान धनी , असन्तोषी दरिद्र , अजितेन्द्रिय कृपण , विषयो मे अनासक्त ईश , और आसक्त पुरुष अनीश कहा जाता है । परदोष दर्शन ही दोष , किसी के गुण दोषो पर ध्यान न देना ही श्रेष्ठ गुण है।
>>>  श्री हरिशरणम्,,,.....

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