Monday, 23 November 2015

रहस्य भाव 46

मूर्खेण सह संयोगो विषादपि सुदुर्जरः ।
विज्ञेन सह संयोगः सुधारससमः स्मृतः ।।

मूर्ख से स्थापित किया सम्पर्क विष से भी अधिक अनिष्टकारी होता है और इसके विपरीत विद्वानोँ का सम्पर्क पीयूषरस तुल्य माना गया है ।

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