नमामि विघ्नेश्वर पाद पंकजम् -----
गणपति का वाहन चूहा है । और चूहे का अर्थ है उद्योग ।
जो उद्योग पर बैठती है सिद्धि और बुद्धि उसकी दासी बनती हैं।
सतत्(निरन्तर) उद्योग यानी परिश्रम करने से ऋद्धि - सिद्धि दासी बनेँगी ।
एक क्षण भी ईश्वर के चिंतन बिना नहीँ बैठना चाहिए ।
प्रत्येक कार्य के प्रारम्भ मेँ गणपति की पूजा की जाती है ।
गणपति विघ्न हर्ता है । गणपति का पूजन करने का अर्थ है जितेन्द्रय होना ।
अर्थात् जो जितेन्द्रय होकर निरन्तर अपने परिश्रम मे लगा रहता है उसका कभी अमंगल नही होता ।
>>>>>गणपति महाराज की जय -------
No comments:
Post a Comment