-> सत्यम् परम् <-
प्रत्येक व्यक्ति सत्य
की खोज मेँ लगा रहता है ।
यही जीवन की दार्शनिक
रीति है।देवगण
भी जानकारी देते हैँ
कि परम सत्य श्रीकृष्ण
ही है।
" सत्यव्रतं सत्यपरं त्रिसत्यं ,
सत्यस्य योनिं निहितं च सत्ये।
सत्यस्य सत्यमृतसत्यनेत्रं ,
सत्यात्मकं त्वां शरणं प्रपन्नाः ।।" (श्रीमद्भागवत 10/2/26)
जो पूर्णतया कृष्णभावनाभावित
हो जाता है,वही परम
सत्य को प्राप्त कर
सकता है। कृष्ण ही परम
सत्य है । शाश्वत काल
की तीनो अवस्थाओँ मेँ
सत्य हैँ,सापेक्ष सत्य
नहीँ । काल
भूत,वर्तमान,भविष्य मे
विभाजित है। भौतिक
जगत मेँ प्रत्येक वस्तु परम
काल -भूत, वर्तमान
तथा भविष्य के
द्वारा नियंत्रित
हो रही है, किन्तु
सृष्टि के पूर्व कृष्ण
विद्यमान थे ; सृष्टि के
हो जाने पर प्रत्येक वस्तु
कृष्ण पर आश्रित है और जब
यह सृष्टि समाप्त होगी ,
तो कृष्ण ही बचे रहेँगे ।
अतः वे
सभी परिस्थितियोँ मे
परम सत्य हैँ यदि भौतिक
जगत मेँ सत्य है , तो यह
परम सत्य से उद्भूत है।
यदि इस भौतिक जगत मेँ
कहीँ वैभव है, तो इसके
स्रोत कृष्ण ही है ।
यदि संसार मेँ कुछ
ख्याति है तो कृष्ण
ही उसके कारण हैँ।
यदि संसार मे कोई बल
(शक्ति) है , तो इस
शक्ति के कारण कृष्ण ही हैँ
।यदि संसार मेँ कोई ज्ञान
तथा शिक्षा है , तो उसके
कारण स्वरुप कृष्ण ही हैँ ।
इस तरह कृष्ण ही सारे
सत्योँ के स्रोत हैँ ।
...,,,,,,,, यह भौतिक जगत
पाँच प्रमुख तत्त्वोँ --
पृथ्वी , जल , अग्नि ,वायु
तथा आकाश - से बना हुआ है
और सारे तत्व कृष्ण से
ही उद्भूत है । भौतिक
विज्ञानी इन पाँच मूल
तत्वोँ को भौतिक
सृष्टि का कारण मानते
है , किन्तु ये सारे तत्व
अपनी स्थूल तथा सूक्ष्म
अवस्थाओँ मे कृष्ण
द्वारा ही उत्पन्न हैँ ।
इस भौतिक जगत मेँ
कार्यरत समस्त जीव
भी उनकी तटस्था शक्ति के
प्रतिफल हैँ ।
भगवद्गीता के सातवेँ
अध्याय मेँ स्पष्ट
किया गया है कि यह
सारा संसार कृष्ण
की परा शक्ति हैँ और
निर्जीव भौतिक तत्व
अपरा शक्ति हैँ ।
सुप्तावस्था मेँ प्रत्येक
वस्तु कृष्ण मेँ समाहित
रहती है ।
,,,,,,, देवगण भौतिक
प्राकट्य के विश्लेषण -
अध्ययन द्वारा भगवान के
परम रुप की सादर
प्रार्थना करते रहे । यह
भौतिक प्राकट्य क्या है ?
यह एक वृक्ष के समान है ।
वृक्ष भूमि पर
खडा रहता है ।इसी तरह
भौतिक प्राकट्य रुपी यह
वृक्ष
प्रकृति रुपी भूमि पर
खडा है । इस भौतिक
प्राकट्य की तुलना वृक्ष
से की जाती है,
क्योकि समय आने पर वृक्ष
को काट लिया जाता है ।
वृक्ष का अर्थ है, वह
जो अन्ततः काट
लिया जायेगा।
अतः भौतिक प्राकट्य
का यह वृक्ष परम सत्य
नही माना जा सकता क्योँकि इस
पर काल का प्रभाव
पडता है , किन्तु कृष्ण
का शरीर शाश्वत है।वे
भौतिक प्राकट्य (सृष्टि )
के पहले भी विद्यमान थे ,
भौतिक जगत के अस्तित्व
मेँ होने पर भी विद्यमान
हैँ और जब इसका विलय
हो जायेगा तब भी वे
विद्यमान रहेँगे ।
अतः केवल कृष्ण
को ही परम सत्य
माना जा सकता है ।।
Sunday, 8 November 2015
रहस्य भाव 34
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