दृष्टिपूतं न्यसेत् पादं वस्त्रपूतं जलं पिबेत् ।
सत्यपूतं वदेद् वाचं मनःपूतं समाचरेत् ।।
-> दृष्टि से भलीभाँति देखकर पवित्र किये गये स्थान पर पैर रखना चाहिए , वस्त्र से छानकर पवित्र किये गये जल को पीना चाहिए ।सत्य के व्यवहार से पवित्र की गयी वाणी बोलना चाहिए , मन द्वारा भली भाँति विचार करने के बाद जो पवित्र आचरण हो,उचित हो उसी का व्यवहार करना चाहिए ।
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