Saturday, 7 May 2016

न शिवेन बिना शक्तिर्न

एवं परस्परापेक्षा शक्ति शक्तिमतो स्थिता ।
न शिवेन बिना शक्तिर्न शक्त्याबिन शिवः ।।
शक्ति और शक्तिमान को सदा एक दूसरे की अपेक्षा रहती है । न तो शिव (शक्तिमान ) के बिना शक्ति रह सकती है ।और न ही शक्ति के बिना शिव रह सकते है । इकार ( शक्ति) हीन शिव को शव कहा जाता है ।शिव दो अक्षरों का. नाम है! शिव माने ईश्वर, परमकल्याण भाजन --- शिवमस्ति अस्य इति शिव:  ! शेते जगत् अस्मिन इति. शिव:  ।
जिसमें प्रलय के समय सारा जगत् , कोटि -कोटि ब्रह्माण्ड सावकाश शयन करते हैं उन का नाम है शिव ।
महादेव महादेव महदेवेति यो वदेत् । एकेन लभते मुक्तिं द्वाभ्यां शम्भूत्र्षृर्णी भवेत्!!!
एकबार के नामोच्चारण से मुक्ति मिलती है! और. दो बार के. नामोच्चारण करने से शंकर जी त्र्षृणी हो जाते है.!!!!
(****      शिव: काशी शिव: काशी काशी काशी शिव: शिव:  !   ये जपन्ति नरा भक्त्या तेषां मुक्तिर्न संशय:  !!!!

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