प्रत्येक जीवात्मा विभिन्न सकाम कर्मो के फलस्वरुप इस पृथ्वी पर जन्म लेता है और यद्यपि वे सब एक स्थान पर एकत्र होते है किन्तु दीर्घकाल तक इकट्ठे रहना निश्चित नहीँ हैँ । हर एक को अपने सकाम कर्मो के अनुसार पृथक पृथक ढंग से कार्य करना होता है और इस प्रकार विलग हो जाना पड़ता है ।
जैसे सागर की लहरोँ पर अनेक पौधे तथा लताएँ तैरती रहती हैँ । कभी वे पास पास रहते हैँ , तो कभी सदा के लिए बिछुड जाते है - एक पौधा इधर जाता है तो दूसरा उधर । इसी प्रकार जब हम साथ साथ रहते हैँ , तो हमारी पारिवारिक संगति अत्यन्त सुन्दर लगती है . किन्तु काल की तरंगो के फलस्वरुप कुछ समय बाद हम विलग हो जाते है ।।
Tuesday, 17 May 2016
प्रत्येक जीवात्मा विभिन्न सकाम कर्मो के फलस्वरुप
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