Saturday, 21 May 2016

मिलन - आँचल सखी जु

मिलन...
मिलन एक अतृप्त तृप्ति है,जो कभी पूर्ण नही।
यह एक ऐसी अग्नि है,जो प्रेमी की बाहो मे होकर ओर ओर भडकती है।
प्रेमी का समीप होना ही,इसके लिए घृत का कार्य करता है।
यह वो रस है,जो प्यास बुझाता नही,बढाता है....इस अग्नि मे सब शीतलता लुप्त हो जाती है।

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