काश तुम हक़ीक़त न होती
बस मेरे पलको की आहट पर ख़वाब सुहाना होती ।
खूबसूरत है ज़िन्दगी जिस तरह ख्वाबो के गलियारों में
हक़ीक़तों में उतनी चासनी कहा फ़ीका है गुलज़ार बहारोँ में
तुम मिल चुकी हो पर फिर भी रूह को न मिली
तुम जा भी चुकी हो पर फिर भी रूह से तो न गई
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