Tuesday, 27 October 2015

रहस्य भाव 15

पथि च्युतं तिष्ठति दिष्टरक्षितं गृहे स्थितं तद्विहतं विनश्यति ।
जीवत्यनाथोऽपि तदीक्षितो वने गृहऽपि गुप्तोऽस्य हतो न जीवति ।।
यदि परमेश्वर की कृपा हो तो जो अनाथ हो या वनवासी हो तो भी वह जीवित रहता है और परमेश्वर द्वारा मारा जीव घर मे सुरक्षित होने पर भी जीवित नहीँ रहता मरता ही है ।।

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