Saturday, 31 October 2015

रहस्य भाव 24

गृहास्थाश्रम एक गाडी है
और पति पत्नी उसके
पहिए है । इस गाडी पर
श्रीकृष्ण को पधराना है ।
जीवनरथ के सारथी है
श्रीकृष्ण । इस जीवनरथ के
अश्व हैँ
हमारी इन्द्रियाँ ।
.... हम प्रभु से
प्रार्थना करेँ ,.. नाथ मैँ
आपकी शरण मेँ आया हूँ ।
जिस प्रकार आपने अर्जुन
के रथ का संचालन
किया था , उसी प्रकार
आप मेरे जीवनरथ के
सारथी बनेँ और सन्मार्ग
पर लेँ चलेँ । जिसके
शरीर रथ का संचालन प्रभु
के हाथोँ मेँ नही हैँ ,
उसका संचालन मन
करता है और मन एक
ऐसा सारथी है
जो जीवनरथ को पतन के
गर्त मेँ गिरा देता है ...
... यदि हम सब
की गाडी परमात्मा के
हाथ मेँ नही होगी
तो इन्द्रिय रुपी अश्व
उसे पतन के गडढे मे
गिरा देँगे ।
अर्जुन की जीत इसीलिए
हुई कि उन्होँने
परमात्मा को सारथी पद
दिया था मन को नहीँ !!!

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