Friday, 30 October 2015

रहस्य भाव 22

कफ, वात तथा पित्त
नामक तीन तत्वो से
व्याप्त भौतिक शरीर
को निज आत्मा के रुप मेँ
स्वीकार करने
वाला मानव एक पशु
मात्र है ।
जो व्यक्ति अपने परिवार
तथा परिजनोँ को अपना मानता है ,तथा भौतिक
वस्तुओ को अपना उपास्य
मानता है ।वह पशु के
अतिरिक्त और कुछ नहीँ है
।जो व्यक्ति केवल
वहाँ स्नान करने हेतु
पवित्र
तीर्थो की यात्रा करता है ,
किन्तु ऋषियो ,
मुनियो तथा महात्माओ
की संगति कभी नहीँ करता ,
वह मानव
शरीरधारी होते हुए
भी गधे के समान एक पशु के
अतिरिक्त और कुछ नही है
।।

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