Thursday, 17 December 2015

प्रकृति के स्वामी श्री कृष्ण

प्रकृति के स्वामी श्रीकृष्ण
भगवान प्रकृति के स्वामी हैं । पृथ्वी के जो आठ गुण हैं वहीं भगवान की आठ पटरानियां हैं । वेद के भी स्वामी भगवान ही हैं । वेद में एक लाख मंत्र हैं । इसमें कर्मकांड की 80,000 ऋचाएं हैं, उपासनाकांड की 16,000 ऋचायें वेद की ऋचायें हैं और ज्ञानकांड की 4,000 ऋचायें हैं जिसे उपनिषद कहा जाता है । उपासनाकांड की 16,000 ऋचाओं ने प्रभु को नेति - नेति कहकर पुकारा, किंतु प्रभु का साक्षात्कार नहीं कर पाई तो वे मंत्र नारी बन कर आईं । वे ही प्रभु की पत्नियां हुई । गीता में भी कहा गया है कि ‘वेदैश्च सैर्वरहमेव वे । : ’ अर्थात् वेदों के द्वारा जानने योग्य मैं ही हूं ।
भगवान श्रीकृष्ण अपने आत्मानंद में मग्न रहते हुए लक्ष्मी जी की अंश स्वरूपा पत्नियां के साथ गृहस्थी की तरह साधारण जीवन व्यतीत करते हैं । भगवान का इतना बड़ा परिवार है लेकिन भगवान को मोह नहीं है । भगवान के पास द्वारिकाधीश का पद है लेकिन मह नहीं है । इतनी अधिक संपत्ति के मालिक हैं लेकिन लोभ नहीं है । विषय हैं, पर आसक्ति नहीं है । यहीं तो प्रभु का क्रांतिकारी कदम है । —🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼

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