🍀 हरिनाम रूचि और आनन्द, निताइनाम लेखन द्वारा
🌷 “श्रील गौर किशोर दास बाबाजी महाराज यह उपदेश देते थे कि जप के समय, नाम अक्षर को बड़े आकार में लिखकर, हर अक्षर के आकार का गहरा ध्यान करना चाहिए। उनका गारंटी-पूर्वक आश्वासन था कि ऐसा करने से, मात्र एक साल के अन्दर ही, सबको भगवान श्यामसुन्दर के साक्षात दर्शन हो जाएँगे।” (उनकी जीवनी में से)
🌷 अहर्निश लिखेन पढ़ेन कुतूहली ।
“भगवान गौरांग महाप्रभु स्वयं नाम अक्षरों को निरन्तर दिन रात लिखकर अतिशय आह्लादित होते थे।” (चैतन्य भागवत १.६.६)
🌷 “समस्त चिन्मय वस्तुओं में, निताइनाम अक्षरों में सर्वोच्च मिठास है।” (श्रील भक्तिसिद्धान्त, चै.भा. ३.५.३५६)
🌷 “विद्युत के स्पर्श से तुरन्त ही हम विद्युतिकृत हो जाते हैं। ठीक इसी तरह, अगर हम किसी भी प्रकार से निताइ का स्पर्श करेंगे, तो हम भी सदा-सर्वदा के लिए सुखी हो जाएँगे, क्योंकि नित्यानन्द प्रभु स्वयं सनातन-सुखी हैं। (श्रील प्रभुपाद, LA ३१.१.१९६९)
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