उर्ध्व प्राणा उत्क्रामन्ति यून: स्थविर आयति.!
प्रत्युत्थानाभिवादाभ्यां पुनस्तान् प्रतिपद्यते.!!
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यदि कोई बड़ा -बूढ़ा "गुरूजन ".सामने आ जाता है तो. हम उसके लिए चाहे उठे या न उठे किन्तु हमारे प्राण उसका स्वागत करने के लिए बाहर निकल जाते हैं और यदि हम उठकर प्रत्युत्थान करें, प्रणाम करें तो हमारे प्राण लौटकर आ जाते हैं.!?
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तात्पर्य ------ यदि हम अपने गुरूजनों का आदर नहीं करेंगे, तो हमारी कर्म -शक्ति का लोप हो जायेगा.!
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यदि हम अपने बड़े -बूढों को देखकर खड़े नहीं हो सकते, तो हम कितने आलसी है., उनको प्रणाम नही कर सकते तो हम कितने अभिमानी है.! आलस और अभिमान के कारण क्रिया -शक्ति कहॉ रह सकती है.? हमारी प्राण -शक्ति तो अपने आप ही लुप्त हो जायेगी.!!
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अत: हम सभी को अपने गुरूजनों "बड़े -बूढ़ो ".का सम्मान करना ही चाहिए.!!!!!
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Saturday, 26 November 2016
गुरुजन आदर से कर्म शक्ति की प्राप्ति
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