शरण ले लेने के पश्चात किसी प्रकार की चिंता नही करनी चाहिये
मनुष्य की एक भूल होती है कि वह अपने को भगवान का शरणागत समझता है तथा साथ ही साथ भविष्य में मेरा क्या होगा इस प्रकार की चिंता भी करता है ।
सच्ची बात यह है कि मनुष्य शक्तिभर भगवान को समर्पण करने की तैयारी कर लेता है तो उसके लिये कोई कर्तव्य नही बच जाता । अतः भविष्य ली चिंता मन में न आने पाये । बल्कि यह चिंता हो की अपनी ओर से तैयारी में त्रुटि तो नही रह गई है ।।
श्री राधा बाबा जू
No comments:
Post a Comment