भय और कोई भी प्रलोभन भगवत् पथ पर नहीँ रहता है ।
रहा तो अभी सच्ची लालसा नहीँ ।
विश्वास और श्रद्धा से भय नहीँ रहता ।
और भगवत् लालसा अतिरिक्त कोई भावना होती नहीँ सो संसार का प्रलोभन भी नहीँ , पथिक राज सुख की शैय्या छोड़ सकते है , पथ के। काँटे नहीँ ।
परन्तु वर्तमान में अधिकांशतः सत्ता और सिद्धि से लोग साधना करते। है । भगवान नहीँ भगवान की शक्तियों के प्रति इच्छा होती है , सच्चा प्रेमी अपने इष्ट को स्पष्ट कह देता है , सिद्धियां और शक्तियां आप जानो , मेरे सिर्फ आप और सब कुछ आपका ही भला ।
आपने सिद्ध देखें हो तो वहाँ भगवान अपना कुछ प्रभाव भजन और तप के निमित्त दे गये ।
कही - कही ठहर भी गये , जहाँ सिद्धि-शक्ति भी स्वीकार नहीँ की , वहाँ वहीँ सिद्धि और शक्ति का प्रयोग करते न कि वह प्रेमी भक्त कोई चमत्कार का प्रदर्शन करता है , ऐसे अनेकों भक्त है जैसे बाईं साँ जी ।
Tuesday, 14 June 2016
भय और प्रलोभन
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