मार्कण्डेय पुराण मे एक कथा आती है कि जब महाराज हरिश्चन्द्र ने अपना राज्य विश्वामित्र को देकर जाने लगे तब विश्वामित्र के इस कृत्य को देखकर परम दयालु पाँच विश्वेदेव आपस मेँ कहने लगे - "ओह ! यह विश्वामित्र तो बड़ा पापी है । न जाने किन लोकोँ मेँ जायेगा । इसने यज्ञकर्त्ताओँ मेँ श्रेष्ठ इन महाराज को अपने राज्य से नीचे उतार दिया है ।"
विश्वेदेवोँ की यह बात सुनकर विश्वामित्र क्रोधित होकर उन सबको शाप देते हुए कहा -
" तुम सब लोग मनुष्य हो जाओ ।" फिर उनके विनय करने पर प्रसन्न होकर कहा - मनुष्य होने पर भी तुम्हारे कोई सन्तान नहीँ होगी , तुम विवाह भी नहीँ करोगे । तुम्हारे मन मेँ किसी के प्रति ईर्ष्या और द्वेष भी नही होगा । तो पुनः काम - क्रोध से मुक्त होकर देवत्व को प्राप्त कर लोगे ।" तदन्तर वे विश्वेदेव अपने अंश से कुरुवंशियोँ के घर द्रौपदी के गर्भ से पाँचो पाण्डव कुमार के रुप मेँ अवतीर्ण हुए । महामुनि विश्वामित्र के शाप से ही उनका विवाह नहीँ हुआ । और महाभारत मे अश्वत्थामा द्वारा रात मेँ सोते समय मारे गये ।
Sunday, 17 September 2017
तप की महिमा
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment