लोभ का स्वरुप .. लाभ से लोभ बढता है , लोभ से पाप बढता है , लोभ और पाप बढने से पृथ्वी रसातल मे चली जाती है ।अर्थात् मानव समाज दुःख रुपी रसातल मे डूब जाता है..
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