माया से पार पाने वाले
को स्वतंत्र रहने के बदले
किसी सच्चे संत को गुरु
को बनाना चाहिए और
सद्गुरु की आज्ञा मेँ
रहना चाहिए ।
संत ऐसा ब्रह्मनिष्ठ
हो जिसका स्मरण मात्र
शिष्य को पाप कर्म
की ओर बढ़ने से रोक दे ।
"जवानी अन्धी एवं
उच्छृंखल होती है अतः इस
अवस्था मेँ संतो की,सद्गुरु
की आज्ञा मेँ
रहना चाहिए ।
जो माया से
छूटना चाहता है , वह
ब्रह्मचर्य का पालन करे -
आँखो से भी और मन से भी ।
रोज एकान्त मेँ बैठकर
प्रभुनाम का स्मरण करे ।
वाणी संयम भी आवश्यक है
। प्रतिदिन कुछ समय तक
मौन रखो ।मौन मन
को एकाग्र करके चित्त
की शक्ति को बढ़ाता है ।
वाणी एवं
पानी का दुरुपयोग करने
वाला ईश्वर
का अपराधी है । मन,
वचन , कर्म से
किसी को भी न सताओ ।
स्वधर्म मेँ , भागवत धर्म
मेँ निष्ठा रखो किन्तु
अन्य धर्मो के
प्रति कुभाव नहीँ । जीव
और ईश्वर
का पहला सम्बन्ध
वाग्दान से होता है ।
अतः रोज
प्रार्थना करो - नाथ मैँ
आपका हुँ , मेरे
अपराधो को क्षमा करना ।
विवेकपूर्वक विचार करने
से माया का मोह कम
होता है , अन्यथा मनुष्य
अपना बहुत सा धन,व्यसन
और फैशन मेँ गँवाता है ।
माया को पार करने के कई
साधन किन्तु
भक्ति अनायास और सहज
प्राप्त साधन है-
"मामेव ये प्रपद्यंते
मायामेतां तरन्ति ते"
-गीता
कलियुग मेँ श्रीकृष्ण
का नाम जप करने से
सद्गति मिलती है -
"कलियुग केवल नाम
अधारा ।
सुमिरि सुमिरि नर
उतरहिँ पारा ।।
भाव कुभाव अनख आलसहु ।
नाम जपत मंगल
दिसि दसहूँ ।।"
कलियुग का मनुष्य
विलासी है । शरीर
की उत्पत्ति ही काम
द्वारा होती है,सो इस
युग मेँ योग और
ज्ञानमार्ग
की अपेक्षा हरिकीर्तन से
ईश्वर को प्राप्त
करना सरल है ।"नाम जप
सरल हैँ क्योँकि जीभ
हमारे आधीन है । भगवान
का नाम सर्वसुलभ होने
पर भी अधिकांश जीव
नरकगामी होते हैँ ,यह बड़े
आश्चर्य की बात है ।
"नारायणेति मंत्रोऽस्ति वागस्ति वशवर्तिनी ।
तथापि नरके घोरे
पतन्तीत्येदद्भु तम्।।"
महाभारत के वनपर्व मे
यक्ष युधिष्ठिर से पूछते हैँ
कि - इस जगत् का सबसे
बड़ा आश्चर्य क्या है ?
युधिष्ठिर कहते है -
"अहन्यहनि भूतानि गच्छन्ति यम
मंदिरम्।
शेषाः स्थिरत्वमिच्छन्
ति किमाश्चर्यमतः परम्।।
मनुष्य प्रतिदिन
हजारोँ जीवो को यम
सदन जाते हुए देखता है ,
फिर भी वह स्वयं तो इस
प्रकार व्यवहार करता है
कि जैसे वह अमर हो ।
मनुष्य यहाँ हमेशा के लिए
रहना चाहते है ।इससे
बड़ा आश्चर्य और
क्या होगा ?
दूसरोँ को मरते देखकर
भी स्वयं को अमर मानकर
भोग विलास मे
डूबा रहना सबसे
बड़ा आश्चर्य है।
Saturday, 10 December 2016
सद्गुरु और माया बन्धन
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