Wednesday, 7 December 2016

आन्तरिक रूप से एकान्त में रहिये , योगानन्द जी

आन्तरिक रूप से एकान्त में रहिये। लक्ष्यहीन जीवन मत बिताइये, जैसा इतने सारे लोग बिताते हैं। ध्यान कीजिये और अच्छी पुस्तकें अधिक पढि़ये।...कभी - कभार सिनेमा चले जाना या लोगों में थोड़ा घुलमिल लेना ठीक है, परन्तु अधिकतर अलग रहिये और अपने अन्तर् में स्थित रहिये।...एकान्त का आनन्द उठाइये; परन्तु जब आप दूसरों से मिलना चाहें तब पूरे प्रेम एवं मित्रता के साथ उनसे मिलिये ताकि वे लोग आपको भूल न पायें, बल्कि सदा यह याद रखें कि वे किसी ऐसे व्यक्ति से मिले थे जिससे उन्हें प्रेरणा मिली और जिसने उनके मन को ईश्वर की ओर मोड़ दिया।

— श्री श्री परमहंस योगानन्द

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