Saturday, 29 October 2016

बुद्धि की जड़ तभी दृढ़ हो सकती है ...

बुद्धि की जड़ तभी दृढ़ हो सकती है जब चित्त मेँ सत्य के लिए निर्बाध प्रेम हो !

व्यक्ति को कर्त्तव्यपरायण बनाने तथा दूसरोँ के साथ सद्आचरण की दिशा मेँ प्रेरित करने के लिए आवश्यक है कि उसमेँ धर्मबुद्धि का विकास किया जाय , परन्तु विवेक एवं सदाचरण पर आधारित धर्मबुद्धि का विकास तभी सम्भव है , जब हमारे चित्त मे सत्य के प्रति प्रेम का भाव स्थायी रुप से विद्यमान रहे । सभी शास्त्र इस प्रेम को उत्पन्न कर सकते हैँ । निर्भीक वातावरण तथा शोधपूरक एवं आलोचनात्मक बुद्धि के आधार पर सत्य की निरन्तर खोज की प्रवृत्ति , इसी प्रकार से धर्मबुद्धि का विकास करती है।

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