💐सत्संग-प्रसंग पर एक जिज्ञासु भक्त ने एक संत से प्रश्न कियाः💐*
*"महाराज जी ! कृपा करके बताएँ कि त्रिभुवन विमोहन होने पर भी भगवान हमें प्यारे क्यों नहीं लगते ?"*
*संत ने कहा;-*
*देखो ! श्यामसुंदर तभी प्यारे लगेंगे जब उसकी जरूरत का अनुभव करोगे।*
*एक बार एक सियार को खूब प्यास लगी। प्यास से परेशान होता दौड़ता-दौड़ता वह एक नदी के किनारे पर गया और जल्दी- जल्दी पानी पीने लगा।*
*सियार की पानी पीने की इतनी तड़प देखकर नदी में रहने वाली एक मछली ने उससे पूछाः*
*'सियार मामा ! तुम्हें पानी से इतना सारा मजा क्यों आता है? मुझे तो पानी में इतना मजा नहीं आता।'*
*सियार ने जवाब दियाः 'मुझे पानी से इतना मजा क्यों आता है यह तुझे जानना है?'*
*मछली ने कहाः ''हाँ मामा!"*
*सियार ने तुरन्त ही मछली को गले से पकड़कर तपी हुई बालू पर फेंक दिया। मछली बेचारी पानी के बिना बहुत छटपटाने लगी, खूब परेशान हो गई और मृत्यु के एकदम निकट आ गयी।*
*तब सियार ने उसे पुनः पानी में डाल दिया। फिर मछली से पूछाः*
*'क्यों? अब तुझे पानी में मजा आने का कारण समझ में आया?'*
*मछलीः 'हाँ, अब मुझे पता चला कि पानी ही मेरा जीवन है। उसके सिवाय मेरा जीना असम्भव है।'*
*इस प्रकार मछली की तरह जब तुम भी श्यामसुंदर की जरूरत का अनुभव करोगे तब तुम भी उनके दर्शन के बिना रह नहीं सकोगे। रात दिन उन्हीं की सोच में लगे रहोगे।*
*ठाकुर जी के परम सुन्दर परम कृपालु होने के बाद भी हम मूढ़ जीवों को संसार प्यारा लगता है। एक गली के कुत्ते के जैसे बार बार उसी गन्दगी में मुह मारते हैं। डंडा पड़ता है लेकिन फिर वही जाते हैं।*
*क्यों ना इस बार इन् जन्म जन्म की आसक्ति ,स्वार्थी संबंधो को त्यागकर परम शाश्वत सम्बन्ध बनाए प्रभु के साथ।*
*ये तभी होगा जब हम अपने हिर्दय में ठाकुर से मिलने का विरह उत्पन्न करेंगे। हिर्दय उनसे मिलने के लिए सदा व्याकुल रहे।*
*_HARE KRISHNA_*
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