Friday, 7 October 2016

शरणागति भाव है कर्म नही

"शरणागति भाव है कर्म नहीं।"

''शरणागत् विश्वासी साधक अपने सभी आत्मीय जनों को समर्थ (प्रभु) के हाथों समर्पित करके निश्चिन्त तथा निर्भय हो जाता है।''

''शरणागत् के आवश्यक कार्य प्रभु स्वयं पूरा करते हैं।''

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