हरि सो लगा रहु रे भाई। तेरी बनत - बनत बनि जाई।।
भगवान् से लगे रहने पर सब कुछ अपने आप बन जाता है। जगत में कितने ऐसे लोग हैं जो केवल भजन करते हैं, चले आते हैं और वैसे ही चले जाते हैं। उनकी भजन व्यर्थ तो नहीं जाता, पर उनमें जो अकड़ रहती है, उसके कारण उन्हे भगवान् नहीं मिल पाते।भगवान् तो भोले भाले भक्तों पर रीझतें हैं; जिन्हे साधना क्या होती है, इसका भी ज्ञान नहीं होता। जो केवल किसी ने कुछ बता दिया उसी पर चलने लगे।
एक महात्मा जी से किसी ने पुछा - महात्मा क्या होते हैं?
उन्होनें कहा - पागल कुत्ते होते हैं;जिन्हे एक डंडा मार दो तो भाग जाते हैं, पर थोड़ी देर में प्यार से बुलाने पर फिर आजाते हैं। ऐसे ही महात्माओं में मान नहीं होता। जैसे पागल कुत्ते के काटने से बचना कठिन है मनुष्य भौंकते - भौंकते ही मर जाता है, वैसे ही महात्मा ने जिस पर अपना प्रभाव डाला, फिर वह राम- राम करता ही पागल हो जाता है।
कुत्ते का काटा हुआ तो शायद बच भी जाये, पर महात्मा तो अँत तक ही पहुँचाते है।
सत्संग सरिता
परिवार के मुखिया: राधा बाबा से
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