Saturday, 7 October 2017

श्रीदामा को श्राप

<<<<<<<<<<<जय श्रीकृष्ण >>>>>>>>
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श्री हरि की तीन पत्नियाँ हुईं---------- श्रीराधा, विजया(विरजा),और भूदेवी । श्रीकृष्ण को श्रीराधा ही अधिक प्रिय हैं । एक दिन श्रीकृष्ण एकान्त कुञ्ज में विरजा के साथ विहार कर रहे थे । यह सुनकर श्रीराधा जी अत्यंत खिन्न हो गईं और उस स्थान पर पहुँचने पर देखा कि महाबली श्रीदामा पहरा दे रहे थे । श्रीराधा जी उन्हें फटकारते हुए अन्दर जाने को उद्यत हुईं । इस कोलाहल को सुनकर  श्रीकृष्ण अन्तर्धान हो गये ।
    श्रीराधा के भय से विरजा नदी होकर गोलोक के चारों ओर प्रवाहित होने लगीं । और श्रीराधा जी वापस अपने निकुंज चली गईं  । श्रीकृष्ण ने शीघ्र ही विरजा को मूर्तिमती सुन्दर नारी बनाकर विहार करने लगे जिससेे विरजा को सात पुत्र हुए , एक दिन बालकों मे झगड़ा होने पर छोटे बालक को गोद में बिठाकर दुलारने लगी उसी समय श्रीकृष्ण अन्तर्ध्यान हो गए जिससे दुखी विरजा ने क्रोधपूर्वक    पुत्र को श्राप देते हुए कहा ----- "दुर्बुद्धे !तू श्रीकृष्ण से वियोग कराने वाला है ; अत: जल हो जा ; तेरा जल मनुष्य कभी न पिएँ ।" बड़े पुत्रों को शाप देते हुए कहा --- तुम सब झगड़ालू हो अत: पृथ्वी पर जाओ और जल होकर रहो । तुम्हारा आपस में कभी मिलन नहीं हो ।प्रलयकाल में तुम्हारा मिलन होगा । इस प्रकार विरजा के सातों पुत्र ---- खारा जल ; इक्षुरस: मदिरा ;घृत; दधि; क्षीर ;तथा शुध्द जल के सात सागर हो गए ।
    तदनन्तर श्रीहरि स्वयं श्रीदामा के साथ श्रीराधा जी के निकुंज में आये श्रीकृष्ण को आया देखकर श्रीराधा जी ने उन्हें उलाहना देते हुए कहने लगीं --- हरे ! वहीं चले जाओ जहाँ तुम्हारा नेह जुड़ा है ।विरजा तो नदी हो गई अब तुम्हें भी नद हो जाना चाहिए ।जाओ उसी के निकुंज में रहो । इसे सुनकर श्रीकृष्ण विरजा के निकुंज में चले गए ।
  तब श्रीकृष्ण के चले जाने पर श्रीदामा ने श्रीराधा जी से कहा --- राधे ! श्रीकृष्ण साक्षात् परिपूर्णतम भगवान हैं । वे स्वयं असंख्य ब्रह्माण्डों के अधिपति और गोलोक के स्वामी हैं ; परात्पर श्रीकृष्ण तुम जैसी करोड़ों शक्तियों को बना सकते हैं । उनकी तुम निन्दा करती हो ; ऐसा मान न करो  ।।
  इसे सुनकर श्रीराधा जी बोली ओ मूर्ख ! तू बाप की स्तुति करके मुझ माता की निन्दा करता है ! अत: तू राक्षस हो जा और गोलोक से बाहर चला जा ।
  तब श्रीदामा ने कहा  शुभे ! श्रीकृष्ण सदा तुम्हारे अनुकूल रहते हैं , इसी लिए तुम्हें इतना अभिमान  हो गया है । अत: परिपूर्णतम परमात्मा श्रीकृष्ण  से  भूतल पर तुम्हारा  सौ वर्षों के लिए  वियोग हो जायेगा ।।

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