Saturday, 7 October 2017

तन , मन , धन

-> तन , मन , धन <-
यदि मन मैला है
तो किसी के तन एवं धन
की शुद्धता की अपेक्षा कह
। मन तो संतो की कृपा से
निर्मल हो सकता है , और
सन्त ईश्वर की कृपा से
मिलते हैँ ।
किसी भी धर्मग्रन्थ
या शास्त्र मे
नहीँ लिखा कि ईश्वर
की कृपा से धन मिलता है
भगवान धन
नही बल्कि मन देते हैँ
क्योँकि धन मन
की शुद्धता को नष्ट
करता है । भगवान जिसके
ऊपर कृपा करते है उसे मन
देते हैँ तथा मन
की शुद्धता को नष्ट करने
वाले धन को नष्ट कर देते
है। और दरिद्रता प्रदान
कर देते है , प्रभु
दरिद्रनारायण कहलाते
है न कि मनीराम ,
मुद्रानारायण ।
अतः प्रभु को दरिद्र
ही प्रिय लगते है ।
भक्त सुदामा ,
भीलनी शबरी ,
महात्मा विदुर ,
आदि अनेको प्रभु के
कृपा पात्र है
जिसका प्रमाण
शास्त्रो एवं धर्म
ग्रन्थो मे भी मिलता है !!!
बोलिए दरिद्रनारायण
भगवान की जय .!!
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मन मैला तन उजला ,
बगुला जैसा भेष !
इससे तो कागा भला ,
भीतर बाहर एक !!!

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