Saturday, 7 October 2017

लोकनायक तुलसी

>लोकनायक तुलसी<
समाज की व्यवस्था नष्ट होने पर,उसके पथ भ्रष्ट होने पर किसी न किसी महापुरुष का आर्विभाव हुआ है , जिसने सभी विरोधो को शान्त कर मंगल वर्षा की । महाभारत के बाद भारत प्रत्येक क्षेत्र मेँ अव्यस्थित हो गया था । तत्कालीन समाज मेँ फैली आन्तरिक एवं बाह्य विश्रृंखलता के मध्य जब समाज मेँ कोई आदर्श नही था .उच्च वर्ग विलासी हो गया था । दरिद्रता , अशिक्षा एवं रुग्णता के कारण अत्याचारियोँ के शिकार बन रहे थे , बैरागी बन जाना साधारण बात थी -
" नारि मुई घर सम्पत्ति नासी ।मूँड़ मुँड़ाय भये संन्यासी ।।"
सन्त नामधारी साधु वेद , पुराण की निन्दा करते हुए अपने मत का प्रचार कर रहे थे , योगमार्गी अपने चमत्कारोँ से लोगो को भ्रमित एवं आतंकित कर रहे थे , अनेको सम्प्रदायो का उदय हो चुका था ।
अत्याचारी मुस्लिम शासक अपनी धर्मान्धता मे जनता को मुसलमान बनाने का प्रयास कर रहे थे , हिन्दुओ की रक्षा का कोई मार्ग नही था । कबीर का हिन्दू मुस्लिम एकता का प्रयास भी निष्फल हो गया था । सूफियोँ की प्रेम पीर एवं कृष्ण भक्त कवियो का मनमोहक और माधुर्य रुप भी कोई शक्तिशाली आदर्श न उपस्थित कर सका । ऐसे मेँ तुलसी का अवतार हुआ जिन्होँने शील एवं सौन्दर्य से समन्वित राम के आदर्श को प्रस्तुत करते हुए कहा --
" जब जब होई धरम की हानी । बाढ़हि असुर महाअभिमानी।।
तब तब प्रभु धरि मनुज शरीरा ।हरहिँ कृपा निधि सज्जन पीरा ।।"
ब्राह्मण वंश मे जन्मे तुलसी दरिद्रता पूर्ण जीवन व्यतीत करते हुए ,गृहस्थाश्रम की निकटता के शिकार हुए , अशिक्षित मनुष्यो से लेकर काशी के दिग्गज विद्वानोँ के सम्पर्क मे रहकर भक्ति एवँ ज्ञान का समन्वय , सगुण निर्गुण का समन्वय , गृहस्थ एवं संन्यास मेँ समन्वय , भाषा एवं संस्कृत मेँ समन्वय , शैव , शाक्त एवं वैष्णव मेँ समन्वय ,
राम द्वारा शिव की उपासना -
"शिव द्रोही मम दास कहावा ।सो नर सपनेहूँ मोहि न भावा।।"
एवं सीता द्वारा पार्वती की वन्दना -
" जय जय जय गिरिराज किसोरी ।
जय महेश मुख चन्द चकोरी ।।
जय गज वदन षडानन माता । जगत जननि दामिनि दुति दाता ।।"
के साथ ज्ञान , कर्म , और भक्ति मेँ भी अनुपम समन्वय स्थापित करते हुए -
"स्वान्तः सुखाय रघुनाथ गाथा " कहकर "रामचरित मानस " मेँ अनेकता मे एकता का प्रतिपादन किया , जो आज "परान्तः सुखाय" होकर जनमानस को एक आदर्श मार्ग दिखा रहा है ।
गोस्वामी तुलसीदास मर्यादावादी, वेद, पुराण, शास्त्र,मूर्तिपूजा,तीर्थ, वर्ण व्यवस्था ,आदि मे पूर्ण आस्था व्यक्त करते थे , इसीलिए वे आज हिन्दू समाज मे अधिक लोकप्रिय हुए ।उन्होँने तत्कालीन समाज का परिष्कार ही नहीँ किया बल्कि भविष्य के समाज की आधार शिला रखी । वे भविष्य दृष्टा एवं स्रष्टा भी थे ।आज का उत्तर भारत उन्ही का रचा हुआ है ।
तुलसी कवि ,भक्त , सुधारक ,भविष्य सृष्टा एवं लोकनायक थे ।
> जय श्रीराम <

No comments:

Post a Comment