तीन अक्षरोँ का महत्व >>>
ऊँ शब्द मेँ तीन अक्षर हैँ --
< ओ, उ तथा म् ।>
1 ." ओ " अक्षर के उच्चारण से ओज (शक्ति ) की वृद्धि होती है क्योँकि उच्चारण करते समय मूलबन्ध (गुदा मार्ग को सिकोड़ना ) लगता है . जिससे विर्य का उर्ध्वरेता (शक्ति के रुप मेँ परिवर्तन ) स्वयं होता रहता है । लंबे समय के अभ्यास से मूलाधार चक्र प्रवाहित होता है ।
2 . " उ " अक्षर के उच्चारण से उदर शक्ति का विकास , उड्डयान बंध के (पेट को अंदर सिकोड़ना ) के लगने से होता है , जिससे उदर( पेट) सम्बन्धी बीमारी धीरे धीरे स्वतः समाप्त हो जाते हैँ । कुछ समय अभ्यास से मणिपूरक चक्र प्रवाहित होता है ।
3 . " म् " अक्षर के उच्चारण से मस्तिष्क की शक्तियोँ का विकास होता है क्योँकि उस समय मस्तिष्क मेँ भौरे की गुनगुनाहट सुनायी देती है जिसे भ्रामरी प्राणायाम कहते है जिसके कारण मस्तिष्क मेँ एक विशेष प्रकार की तरंग (वेव्स) उत्पन्न होती है जिससे मस्तिष्क मेँ जमेँ विकार बाहर ही निकलते हैँ बल्कि शून्य पड़े अवयव(अंग) भी कार्य करने लगते हैँ । फलस्वरुप मस्तिष्क की स्मरण शक्ति बढ़ने लगती है ।'म' के उच्चारण से सहस्रार चक्र प्रभावित होता है ।
जब मूलाधार,मणिपूरकतथा सहस्रार चक्र "ऊँ" शब्द के कई बार के उच्चारण से एक साथ प्रवाहित होते हैँ तो कुण्डलिनी शक्ति जाग्रत होती है जिससे उपरोक्त सभी उपलब्धियाँ स्वतः प्राप्त होने लगती हैँ ।
Saturday, 28 October 2017
ऊँ शब्द मेँ तीन अक्षर
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