रूपांतरण चेष्ठा:
🙌🏻 श्री राधा बाबा जु द्वारा निम्न रहस्य समाधान🙌🏻
यह प्रकृति के अंश का शोधन है। जो देह माता पिता के द्वारा मिलती है,उसमे अनुवांशिकी प्रकृति रहती है, माता-पिता के परम्परागत गुण दोष भी उसके भाग होते है। फिर संग जनित गुण दोष भी उसमे प्रविष्ठ हो जाते है।
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सिद्ध संत अपने सम्पर्क में आये जीवो की प्रकृति का शोधन करता है। जितना जितना सम्पर्क में आये व्यक्ति का समर्पण होता है, उसकी प्रकृति का उतना उतना अंश रूपांतरित हो जाता है।
संत के सम्पर्क में आया व्यक्ति अपने अहंकार के कुछ पाप पुण्य अपने पास ही सुरक्षित रखना चाहता है।
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वह संत के सम्मुख अच्छा दिखने की भावना से कुछ अच्छाइयां बचाकर रखता है, और अधिक बुरा नही दिखे कुछ बुराइयां भी छुपाता है। इस कपट के होने से उसका उतना भाग अरूपांतरित रह जाता है।
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